वैष्णो देवी यात्रा 14 दिनों से बंद, बारिश-भूस्खलन बनी वजह; इतिहास में पहले कब थमी थी यात्रा?

    08-सितंबर-2025
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vaishno devi
 

प्रसिद्ध धार्मिक यात्राओं में से एक श्री माता वैष्णो देवी यात्रा इन दिनों ठप पड़ी है। 26 अगस्त से लगातार भूस्खलन और बारिश के कारण कटरा से भवन तक का मार्ग बाधित है और यात्रा स्थगित कर दी गई है। इस दुखद घटना में 34 श्रद्धालुओं की मौत भी हो चुकी है।
 
यह स्थिति श्रद्धालुओं के लिए असामान्य है, क्योंकि सामान्यतः यात्रा सालभर चलती रहती है और बहुत ही कम अवसरों पर लंबे समय के लिए रोकी जाती है।
 
 
यात्रा कब और क्यों रुकी?
 
 
26 अगस्त 2025 को कटरा-भवन मार्ग पर तेज बारिश के बाद बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ।
 
इसके चलते पैदल मार्ग और नई ट्रैक (ट्रैक-II) दोनों पर मलबा आ गया और कुछ जगहों पर रास्ता पूरी तरह बंद हो गया।
 
प्रशासन ने तुरंत सुरक्षा कारणों से यात्रा रोक दी। इसके बाद से अब तक यानी 14 दिनों से यात्रा स्थगित है।
 
 
क्या यह पहली बार है इतनी लंबी रोक?
 
 
वैष्णो देवी यात्रा पर रोक के उदाहरण बहुत कम मिलते हैं। COVID-19 महामारी (मार्च 2020 – अगस्त 2020) के दौरान यात्रा कई महीनों तक बंद रही थी। इसके अलावा, भारी बारिश या तकनीकी कारणों से 1–2 दिन की रुकावट आम रही है, लेकिन 14 दिनों तक लगातार स्थगन हाल के वर्षों में अभूतपूर्व है।
 
 
जम्मू कश्मीर में भूस्खलन से प्रभावित मार्ग
 
 
मौसम और भूस्खलन का असर केवल यात्रा ट्रैक पर ही नहीं बल्कि जम्मू क्षेत्र के अन्य मार्गों पर भी दिखा है।
 
जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44): जगह-जगह भूस्खलन और शूटिंग स्टोन्स के कारण बार-बार बंद हो रहा है। यातायात पूरी तरह से ठप है। मार्ग को सुचारू रूप से शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
 
मुगल रोड: राजौरी–पुंछ को शोपियां से जोड़ने वाला यह मार्ग भी बारिश के चलते कई बार बंद हुआ। भूस्खलन की घटना के बाद यातायात प्रभावित है।
 
सिन्थन टॉप रोड और डोडा–किश्तवार मार्ग: यहां भी भूस्खलन से यातायात बाधित है। इन मार्गों की स्थिति लगातार बदलती रहती है, इसलिए यह क्षेत्र सामान्य यात्रियों और श्रद्धालुओं – दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
 
 
जम्मू-कश्मीर में बारिश और बाढ़ के चलते आम लोग परेशान हैं और सरकार से मदद की उम्मीद और गुहार लगा रहे हैं। गुरुवार को पंपोर के चक-शालीना में झेलम के तटबंध के टूट जाने के बाद पुलवामा, बड़गाम और श्रीनगर के कई इलाके बाढ़ के पानी में डूब गए. तटबंध के टूटने के 36 घंटे बाद भी भारी मात्रा में पानी इन इलाकों में घुस रहा है।
 
 
 
 
बाढ़ के पानी में तीन जिलों के करीब 112 गांव-देहात आ चुके हैं और यहां पर मकान, दुकान, फैक्ट्री और वेयरहाउस पानी के नीचे आ चुके हैं। अब प्रभावित लोग सिर्फ नुकसान का आंकलन कर सकते हैं। क्या गरीब और क्या अमीर सब बाढ़ के विनाश का शिकार हो चुके हैं।
 
 
यात्री ध्यान रखें यह बात
 
 
यात्रा स्थगित है, इसलिए फिलहाल यात्रा की योजना न बनाएं। मौसम और प्रशासनिक अनुमति के बाद ही यात्रा बहाल होगी। मॉनसून के दौरान यात्रा टालना ही समझदारी है।
 
 
जुलाई–सितंबर के बीच ट्रैक पर भूस्खलन का खतरा सबसे अधिक रहता है। भविष्य की योजना अक्टूबर–मार्च के बीच बनाना बेहतर होगा, जब मौसम स्थिर रहता है और मार्ग अपेक्षाकृत सुरक्षित होते हैं।
 
 
मार्गों की ताज़ा जानकारी अवश्य लें। चाहे जम्मू–श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग हो या कटरा माँ वैष्णो देवी के भवन का ट्रैक, बिना आधिकारिक सूचना के यात्रा शुरू करना खतरे से खाली नहीं है।
 
 
सुरक्षा प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। पिछले दिनों भूस्खलन में जनहानि हो चुकी है, इसलिए प्रशासन द्वारा लगाई गई रोक श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए ही है।
 
 
श्री माता वैष्णो देवी यात्रा केवल आस्था की यात्रा नहीं है, बल्कि यह करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए जीवन का महत्वपूर्ण अनुभव भी है। लेकिन जब प्रकृति रास्ता रोक दे तो आस्था के साथ-साथ धैर्य भी आवश्यक है। इस समय सुरक्षा और मौसम की अनुकूलता सबसे बड़ी प्राथमिकता है। यात्रियों के लिए यह सही समय है कि वे जल्दबाज़ी न करें, परिस्थितियाँ सामान्य होने का इंतज़ार करें और फिर माता के दर्शन की योजना बनाएं।