व्यक्ति को आतंकी घोषित करने वाला UAPA संशोधन बिल राज्यसभा में पास, NIA के लिए क्यों ज़रूरी था ये बिल, जानिए

JKN-HND    02-Aug-2019
 
 
अनलॉफुल एक्टिविटीज़ (प्रिवेंशन) एक्ट से जुड़ा संशोधन बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास हो गया है। गुरूवार शाम और शुक्रवार दोपहर तक राज्यसभा में बहस के बाद 147 सदस्यों ने पक्ष में और 42 सदस्यों ने विरोध में वोट देकर बिल को मंजूरी दे दी। इससे पहले बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव भी खारिज कर दिया गया। यानि चूंकि लोकसभा से इस बिल को मंजूरी दी जा चुकी है अब कानून में संशोधन करने का रास्ता साफ हो गया है। मुख्यत: इस बिल में संगठन के अलावा किसी व्यक्ति को भी आतंकी घोषित करने का प्रावधान शामिल किया गया है।
 
 
 
यानि अबतक आतंकी गतिविधियों के चलते सिर्फ आतंकी संगठनों को बैन किया जाता था, जिसको आतंकी नाम बदलकर फिर से गतिविधि जारी रखते थे। मसलन यूएन, यूएस और पाकिस्तान में आतंकी घोषित होने के बाद भी भारत में ऐसा कोई कानून नहीं था, जिसके तहत हाफिज सईद को टेररिस्ट घोषित किया जा सके। लेकिन अब इस कानून के मुताबिक आतंकी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति को भी टेररिस्ट घोषित किया जा सकता है। इस कानून का इस्तेमाल नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी और राज्य की पुलिस दोनों कर सकती हैं। 
 
 
  
राज्यसभा में विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि- “व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने की ज़रूरत क्या है। संस्थाओं को आतंकवादी संगठन घोषित कर सकते हैं। आतंकी संस्था का नाम बदल लेते हैं और आतंकी गतिविधियों को जारी रखते हैं, इसीलिए व्यक्ति को टेररिस्ट घोषित करना ज़रूरी है। आतंकवाद वैश्विक समस्य़ा है, दुनिया के पीड़ित देशों में अपने-अपने कानून बनाये गये हैं। यूएस, पाकिस्तान, चीन, यहां तक कि यूएन सिक्योरिटी काउंसिल भी कर व्यक्ति को आतंकवादी घोषित कर सकती है। लेकिन हम क्यों नहीं।“
 
 
 
 
बहस करते हुए कांग्रेस सदस्य पी चिदंबरम ने कहा कि हम सभी प्रावधानों के खिलाफ नहीं है सिर्फ 2 पर हमारी आपत्ति है। उन्होंने कहा कि पहला आप किसी स्टेज पर किसी को आतंकी घोषित करेंगे, यह बताएं। इस पर अमित शाह ने साफ किया कि- “आतंकवादी घोषित करने वाद 4 स्टेज पर स्क्रूटनी हो सकती है, जिसमें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट शामिल हैं।”
 
 
आतंकवादी किसे घोषित किया जा सकता है-
 
 
 
1- जब कोई आतंकी गतिविधियों में भाग लेता है।
 
2- आतंकवाद के लिए तैयारी करने में मदद करता है।
 
3- आतंकवाद को बढ़ाने की कार्ययोजना बनाता है और
 
4- घोषित आतंकवादी संस्थाओं में मिला हुआ है
 
 
बिल के विरोध में कांग्रेंस के हमलों का भी अमित शाह ने करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि- “ये कानून हम लेकर नहीं आये। 1967 में ये कानून आया तब कांग्रेस की सरकार थी, 2004 में पहला अमेंडमेंट आया तब कांग्रेस की सरकार थी, 2008 में दूसरा अमेंडमेंट आया तब भी कांग्रेस की सरकार थी और 2013 में तीसरा अमेंडमेंट आया तब कांग्रेस यहां इस तरफ बैठती थी। तो ये सब कौन लाया, कांग्रेस लाई और आज वो विरोध कर रहे हैं। लेकिन हमने तब भी इसका समर्थन किया था और आज भी कर रहे हैं।“
 
 
 
 
 
 
इस बीच बहस के दौरान दिग्विजय सिंह समेत कांग्रेस सदस्यों एनआईए की कार्यप्रणाली और रिजल्ट पर भी सवाल उठाये तो अमित शाह ने आंकड़ों के साथ इसका जवाब दिया। उन्होंने बताया कि “एनआईए ने 31 जुलाई 2019 तक कुल 278 मामले रजिस्टर किये हैं। जिसमें 204 में आरोप पत्र दायर किये गये हैं। इसमें से 54 मामलों में फैसला आ चुका है और 48 मामलों में सज़ा हो चुकी है, तो सज़ा का दर 91 फीसदी दुनिया भर में सबसे ज्य़ादा एनआईए की है।”
 
 

अमित शाह ने आगे बताया कि एनआईए द्वारा दायर केसों में कुल 221 आरोपियों को सज़ा हुई है, जबकि 92 आरोपियों को दोषमुक्त किया गया है। चार्जशीट मामलों में भी 19 जुलाई 198 में से 131 मामलों में चार्जशीट दायर की गयी है।
एनआई ने जेहादी संगठनों पर 109 मामले, वामपंथी उग्रवाद में संबंध में 27 मामले, नॉर्थ-ईस्ट अलग-अलग हत्यारे ग्रुप पर 47 मामले, खालिस्तानियों पर 14, फॉरेन करेंसी-हवाला के संबंध 45 और अन्य 36 मामले दायर किये गये हैं। आजतक किसी भी मामले में चार्जशीट फाइल न करने के कारण नहीं छोड़ा गया है। यानि एनआईए की परफॉर्मेंस पर सवाल नहीं उठाये जा सकते हैं।