संदिग्ध फंडिंग और अलगाववादी लेखन पड़ रहा है कश्मीरी मीडिया को महंगा।
   06-जुलाई-2019


 
जम्मू कश्मीर में एनआईए ने पहली बार राज्य के सबसे छोटे हिस्से कश्मीर में छप रहे ऐसे लेखो या खबरों पर शिकंजा कैसा है जो वहां पर आतंकवाद या अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे है। 
 
 
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई की माने तो कश्मीर के एक बड़े अखबार के संपादक से पूछताछ की जा रही है। हालाँकि न्यूज़ एजेंसी ने सम्पादक का नाम लेने में गुरेज़ किया है। लेकिन कश्मीरी मिडिया में लगातार सुरसुराहट है कि यह बड़ा अखबार ग्रेटर कश्मीर है।
 
ग्रेटर कश्मीर राज्य के कश्मीर हिस्से का सबसे बड़ा अखबार है। सरकारी विज्ञापनों का सबसे लाभार्थी भी यही अखबार है। हालाँकि पुलवामा हमले के बाद ग्रेटर कश्मीर को मिलने वाले विज्ञापनों पर रोक लगा दी गयी थी। और जानकारी के लिए पढ़े:- 
 
 
कश्मीर के अखबार ग्रेटर कश्मीर के सम्पादक से पिछले 4-5 दिनों से गहन पूछताछ की जा रही है। " जम्मू कश्मीर नाउ " के माध्यम से हम पहले भी यह बात अपने पाठको के समक्ष लेकर आये थे कि कश्मीर घाटी के कुछ अखबार अपनी एकपक्षीय लेखन से अलगाववाद और पथराव को बढ़ावा दे रहे है। 
 
 
हिज़्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वाणी की एक एनकाउंटर में मारे जाने के बाद 2016 में कश्मीर के 3-4 जिलों में हालात खराब हो गए थे। उस समय ग्रेटर कश्मीर में छपे लेखो और संदिग्ध फंडिंग को लेकर ग्रेटर कश्मीर के सम्पादक और एक अन्य कर्मचारी से पूछताछ की जा रही है। पूछताछ का सिलसिला पिछले एक हफ्ते से चल रहा है।