
केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही जम्मू कश्मीर से 'आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट' (AFSPA) हटाने पर विचार कर रही है। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर से सैनिकों की वापसी का भी प्लान है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को JK मीडिया ग्रुप के साथ बातचीत में इस बात की घोषणा की। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने सात साल का खाका तैयार किया है। इसके तहत केंद्रीय सैन्य बलों को जम्मू-कश्मीर से वापस बुलाया जाएगा। साथ ही जम्मू-कश्मीर पुलिस को विशेष रूप से उस क्षेत्र का प्रभारी बना दिया जाएगा। योजना पहले से ही कार्यान्वयन के अधीन है। उन्होंने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर पुलिस को मजबूत कर रहे हैं। फिलहाल स्थानीय पुलिस सहायक की भूमिका में केंद्रीय बलों के साथ सभी आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व कर रही है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर दिल्ली की सत्ता में बैठे लोगों को भरोसा नहीं था। लेकिन हम जम्मू-कश्मीर पुलिस में गुणात्मक बदलाव लाएं हैं। वे अब सभी अभियानों में सबसे आगे हैं। पहले सेना और केंद्रीय बल ही नेतृत्व कर रहे थे। अमित शाह ने चुनाव के बाद ब्लूप्रिंट को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हम निश्चित रूप से कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी पूरी तरह से जम्मू-कश्मीर पुलिस को सौंप देंगे। गृहमंत्री शाह ने यह भी घोषणा की कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के साथ हम जल्द ही वहां सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के कवरेज की समीक्षा पर विचार करेंगे।
क्या है AFSPA ?
AFSPA यानि आर्म्ड फ़ोर्सेस स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट को 11 सितंबर 1958 संसद से मिली मंज़ूरी के बाद लागू किया गया था। AFSPA (Armed Forces Special Powers Act ) को केवल अशांत क्षेत्रों में लागू किया जाता है। इसे सबसे पहले पूर्वोतर के राज्यों में लागू किया गया। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में वे बल का भी प्रयोग कर सकते हैं। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में AFSPA लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है।